Thursday, February 12, 2015

जब आए संतोष धन सब धन धूरि समान(अनुच्छेद)

मनुष्य के जीवन में सुख और शांति की शुरुआत संतोष की नीव पर ही होती है ।जब तक व्यक्ति के मन में संतोष नहीं आता तब तक वह सुख का अनुभव कर ही नहीं सकता । व्यक्ति के पास जो कुछ भी अपना है या अपने पास है, उसी में सुख का अनुभव करना संतोष कहलाता है ।मानव की अभिलाषा अनंत है। व्यक्ति उन्हें पाने के लिए प्रयास करता है। इस प्रकार एक के बाद दूसरी इच्छा जन्म लेती है तथा मनुष्य महत्वाकांक्षी हो जाता है। महत्वाकांक्षी व्यक्ति कभी सुखी हो ही नहीं सकता । वह सदैव तनावपूर्ण जीवन जीता हुआ बीमारियों का शिकार होता है । इस तरह संतोष के बिना सुख संभव नहीं होता । बढती महत्त्वाकांक्षा के साथ  अपराध  बढते है  -  जैसे कि  चोरी  ,डकैती, , तस्करी  एवं  भ्रष्टाचार  । जहाँ संतोष है वहाँ लालच का कोई स्थान नहीं ।सुख के लिए व्यक्ति के मन मे त्याग तथा परोपकार का होना आवश्यक है ।किसी कवि ने ठीक  कहा है कि -

                               गोधन ,गज धन ,वाजिधन और रतनधन खान ।
                                जब आए संतोष धन ,सब धन धूरि समान  ।।

12 comments:

  1. श्रीमान, वाजिधन का मतलब क्या है?

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    1. गो धन गज धन बाज धन
      गायों, हाथियों और घोड़ों के धन या रतन धन कितना भी हो किन्तु जब संतोष धन आ जाता है तो अन्य सभी धन धूल समान लगते हैं

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  2. धन और संसाधन – विस्फोट
    https://visfot.com/2007/08/07/धन-और-संसाधन/
    7 अग॰ 2007 - एक कहावत है जिसे समझने की आज बहुत जरूरत है-गोधन, गजधन बाजिधन और रतनधन खान ।जब आवै संतोषधन, सबधन विरथा जान ।।मेरी समझ से अब इसका अर्थ कुछ यूं है-गोधन- वह संपदा जो हम पुरूषार्थ से अर्जित करते हैं.गजधन- आपकी शौर्यगाथा. जब लोग आपकी जय-जयकार करें.बाजिधन- मर्त्य धन. ऐसा धन जो छल-कपट प्रपंच से अर्जित…

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  3. जी ... धन्यवाद

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  4. मेरे विचार में ये वाजीधन है यानी कि ताकत का धन जैसे वाजीकारक यौन शक्ति वर्धक पदार्थ होते है, वाजीकरण इत्यादि।

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  5. is dohe ke rachiyta (writer) kaun hai ?

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  6. वाज = घी, घृत, यज्ञ, जल, पदार्थ, धन-धान्य, वेग / गति.

    वाजपेय मतलब
    [सं-पु.] - प्राचीन भारत में राजाओं द्वारा सर्वोच्चता सिद्ध करने के लिए किए जाने वाले सोम यज्ञ के सात भेदों में से पाँचवा।

    वाजपेयी मतलब
    [सं-पु.] - 1. वह पुरुष जिसने वाजपेय यज्ञ किया हो 2. कान्यकुब्ज ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम।

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  7. वाजि = घोडा, शक्ति

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