Sunday, October 23, 2011

लक्ष्मी विपत्ति विदारिणी जय-जय ||

दुर्गे  दुर्गति  नाशिनी जय -जय 
काली  काल विनाशिनी जय-जय 
रमा उमा ब्रह्मणि जय-जय 
 लक्ष्मी विपत्ति विदारिणी जय-जय ||

 सर्व- शक्ति सम्पन्न विधात्री
 सब साधन संबल की दात्री 
ज्ञान-शक्ति की ज्योति जला दे
भक्तो की भय-हारिणी जय-जय ||

 मेरे स्वर में तेरी वाणी 
 तूँ जग-जननी तूँ कल्याणी 
 तूँ ही गीत-रस,तूँ ही मीत मम 
 भक्तो की वरदायिनी जय-जय ||

 मैनें कहाँ तुम्हें माँ जाना 
 पर माँ ने मुझको पहचाना 
 सब कुछ मिला कृपा माँ तेरी 
 मनवांछित-वरदायिनी जय-जय ||

 ज्ञान की ज्योति जला दे मैया 
 भंवर से पर लगा दे नैया 
 अखिल विश्व की माँ कल्याणी 
 भक्तों की दुःख-हारिणी जय-जय ||  

                                      राजेंद्र रामनाथ मिश्र