Friday, December 6, 2013

हिन्दी भाषा (कविता)

भाषा भावों  से भरी हुई रसधार युक्त शीतल जल है ।
हिन्दी  भारत की जननी ,ज्ञान युक्त अमृत फल है ।।

हिन्दी से हिन्दुस्तान बना हिन्दी से हिन्द महासागर ।
हिन्दी महान भाषा जग की भरती है गागर मे सागर ।।

हिन्दी मे बातें करते हम, हिन्दी मे गाते गीत सदा ।
हिन्दी मे सब काम करे ,हिन्दी की अपनी अलग अदा ।।

हिन्दी भारत माँ की बिन्दी, हिन्दी मुकुट हिमालय का ।
हिन्दी ज्ञान की गंगा बन बहती निर्मल धारा सी ।।

Monday, December 2, 2013

सर्वश्रेष्ठ बलिदान The greatest sacrifice


संत ज्ञानेश्वर के पिता श्री विट्ठल तथा माता रूक्मिणी बाई संन्यास त्याग गृहस्थ धर्म मे वापस आ गए। उनके तीन पुत्र तथा एक पुत्री थे ।समाज से बहिस्कृत हो , बच्चो के भविष्य के लिए के लिए दम्पति ने गंगा मे डूबकर जान दे दिए ।इतना बडा वलिदान उन्होने एसलिए किया कि समाज उनके बच्चो को स्वीकार कर लेगा ।उनके इतने बडे त्याग के वावजूद लोग उन्हे सन्यासी पुत्र कह ,उनका यज्ञोपवित संस्कार कराने से मना कर दिया ।"होनहार बिरवान के होत चीकने पात"  बालक ज्ञानेश्वर जिसने छःवर्ष की आयु मे वेद की ऋचाओ को याद कर लिया था , बारह वर्ष की आयु मे पुस्तक की रचना कर लोगो को विस्मृत कर दिया। समाज जिसे अपनाने से कतराता था उसी के पीछे चलने को उत्सुक हो गया ।महान पुरुष अपना मार्ग खुद बनाते है।