भाषा भावों से भरी हुई रसधार युक्त शीतल जल है ।
हिन्दी भारत की जननी ,ज्ञान युक्त अमृत फल है ।।
हिन्दी से हिन्दुस्तान बना हिन्दी से हिन्द महासागर ।
हिन्दी महान भाषा जग की भरती है गागर मे सागर ।।
हिन्दी मे बातें करते हम, हिन्दी मे गाते गीत सदा ।
हिन्दी मे सब काम करे ,हिन्दी की अपनी अलग अदा ।।
हिन्दी भारत माँ की बिन्दी, हिन्दी मुकुट हिमालय का ।
हिन्दी ज्ञान की गंगा बन बहती निर्मल धारा सी ।।