दुर्गे दुर्गति नाशिनी जय -जय
काली काल विनाशिनी जय-जय
रमा उमा ब्रह्मणि जय-जय
लक्ष्मी विपत्ति विदारिणी जय-जय ||
सर्व- शक्ति सम्पन्न विधात्री
सब साधन संबल की दात्री
ज्ञान-शक्ति की ज्योति जला दे
भक्तो की भय-हारिणी जय-जय ||
मेरे स्वर में तेरी वाणी
तूँ जग-जननी तूँ कल्याणी
तूँ ही गीत-रस,तूँ ही मीत मम
भक्तो की वरदायिनी जय-जय ||
मैनें कहाँ तुम्हें माँ जाना
पर माँ ने मुझको पहचाना
सब कुछ मिला कृपा माँ तेरी
मनवांछित-वरदायिनी जय-जय ||
ज्ञान की ज्योति जला दे मैया
भंवर से पर लगा दे नैया
अखिल विश्व की माँ कल्याणी
भक्तों की दुःख-हारिणी जय-जय ||
राजेंद्र रामनाथ मिश्र