जो स्वयं साहसी होते है |
वे आगे बढ़ते जाते है ||
कंटक में चल करके खुद
दुनिया को राह बताते है
चाहे नेपोलियन को देखो
या नाम सिकंदर का लेलो
नेता सुभाष अब नहीं रहे
पर हमको याद दिलाते है || जो स्वयं ........
पथ में कितनी बाधाएँ हो
घेरे घनघोर घटायें हो
फैला समुद्र जल विस्तृत हो
ऊँची पर्वत मालाएँ हो
पद एक नहीं विचलित होते
खुद समय बदलते जाते है || जो स्वयं .........
जो अपना कर्म नहीं करते
जो झूठी स्वांग सदा भरते
जो उम्मीदों के बल बैठे
संघर्षों से घबराते है
गोते तो लगाना मुश्किल है
साहिल पर डूबा करते है || जो स्वयं .........
जिनका मन भ्रमर नहीं खिचता
ललनाओ की तस्वीरों में
जो आहत नहीं हुआ करते
सुन्दरियों की दृग तीरों से
है वीर पुरुष विरले जग में
यश मान सजोयें रखते हैं ||
जो स्वयं साहसी होते है |
वे आगे बढ़ते जाते है ||
राजेंद्र रामनाथ मिश्र
No comments:
Post a Comment