Thursday, January 13, 2011

समय का सिलसिला |

सिलसिला यह समय का चलता रहे,
 शामें ढलती रहें, दिन बदलता रहे 
चाँद सूरज बिखेरें सदा रोशनी
व्याप्त भारत में स्वर्णिम रहे चाँदनी|
 स्वर से सिंचित गगन,शक्ति से हो भरा 
 नभ समुन्दर तक फैले हमारी धरा 
 शक्ति -समृधि-सौरभ विखरता रहे
 सिलसिला यह समय का चलता रहे,||

सिर हिमालय का ऊँचा चमकता रहे 
 गंगा यमुना की धाराएँ  बहती रहें 
देश भारत की धरती पर मोती उगे 
 पक्षी कलरव करें ,पुष्प खिलते रहें 
 कन्याकुमारी से कश्मीर तक ,
 तिरंगा सदा ही लहरता रहे |
सिलसिला यह समय का चलता रहे,||

बापू नेहरु के सपने संजोये हुए 
आज साकार हो बस यही कामना 
शिखर समृधि का देश छू ले तभी , 
पूर्ण हो पूर्वजो की सभी कामना 
फैले हरियाली वृक्ष फूलें फलें
मेरे सपनों का भारत सँवरता रहे |
सिलसिला यह समय का चलता रहे ||
                                                     राजेंद्र रामनाथ मिश्र

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