Friday, January 21, 2011

वृक्ष का सन्देश -मनुष्य के नाम

हे ,पवन ! प्रकृति के छंद ,
मंद क्रंदन को ,
आहत -पीड़ित -व्यथित
आह , चिंतन को  ||


स्मरण दिला दो मानव को
उसके कर्त्तव्य प्रकृति के प्रति 
अब नहीं चलेगी अधिक समय
उसकी अभिमानी वक्र गति ||


मै तरु मेरा है हरित रक्त
पर मानव का है रक्त ,रक्त
दोनों में अनिल समान भाव
हँ  दोनों के हो प्राणधार   ||


याद दिला दो मानव को
मै उसे  सदा अर्पित करता
कर्त्तव्य समझ निज जीवन का 
फल- फूल- मूल  डाली-पत्ता 


हे पवन ! मित्र मानव के  
संरक्षक मेरे त्राहि -त्राण  |
तुम दोनों के जीवन स्वरुप 
मनुज-विटप मध्यस्थ प्राण ||


जब विटप-विहीन मही होगी
 मानव का होगा महानाश !
जीवन संभव जग में होगा 
वृक्षों से मिलती रहे साँस  || 
                                      राजेन्द्र   रामनाथ  मिश्र

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