Monday, December 1, 2014

Pyar bina koi geet nahi hai.-प्यार बिना कोई गीत नहीं है।

प्यार बिना कोई गीत नहीं है ।
प्यार बिना संगीत नहीं है ।।

जग के सभी चराचर में
आकर्षण का प्यार भरा है
ग्रह - नक्षत्र-उपग्रह- तारे,
सब मे है आकर्षण प्यारे ।

सूरज प्यार धरा से करता,
प्रतिदिन अपनी नवकिरणो से
जगती का आलिंगन करके
जग को प्यार निछावर करता
धरती का वह मीत सही है ।
प्यार बिना कोई गीत नहीं है ।।

नील गगन में पंख खोलकर
गोते खाते हैं पक्षी गण,
प्रणय-गीत को गा-गाकरके
सह देते संसार सृजन में, 
नहीं प्रीति की रीति नई है।
प्यार बिना संगीत नहीं है ।।

रंग- विरंगे पंख खोलकर,
तितली मंडराती फूलों पर
करती मधुरस पान सुहृद का,
पुष्प- पुष्प पर घूम -घूम कर ,
है बिखेरती नव पराग-कण।
फूलों का परांगण करके ,
सह देतती संसार सृजन में ।
तितली का फूलों से बढकर, 
जग में कोई मीत नहीं है
प्यार बिना कोई गीत नहीं है।
प्यार बिना संगीत नहीं है ।।

                                  राजेन्द्र मिश्रा