Monday, May 16, 2016

संवाद - सैनिक तथा अफसर के बीच

सैनिक  -श्रीमान जी, मेरी माँ  की  तबियत  खराब है । मुझे  उसके  पास  जाना है  ।इसलिए  मुझे  कुछ दिनों  का  अवकाश  चाहिए  ।
अफसर - इस  समय  अवकाश  नहीं  मिल  सकता  । हमारे  बटालियन में  कई सैनिक  पहले ही  अवकाश पर  है ।
सैनिक  - परन्तु  , सर ! माँ  के प्रति  मेरा  भी कुछ  कर्तव्य है  ।
अफसर - इस  माॅ के के प्रति  तुम्हारा  कर्तव्य  नहीं है  ।
सैनिक - ऐसा  क्यों  कहते हैं  सर , इस  माँ के लिए तो मेरा सिर  भी  हाजिर है  ।
अफसर - ठीक है  , आज  ही अन्य लोगों को  उपस्थित  होने की  सूचना  भेजी  जाएगी  ।किसी के  आते ही  तुम  माँ के पास  चले जाना ।
सैनिक -  यस सर ।धन्यवाद  ।

Saturday, May 14, 2016

विज्ञापनों का आम जनता पर प्रभाव पडता है । इस विषय पर प्रकाश डालते हुए संपादक को पत्र ।

परीक्षा भवन
क ख ग विद्यालय
च छ ज नगर

सेवा में
संपादक , नवभारत टाइम्स
अशोक  नगर
नई दिल्ली  - 110001

महोदय
आप  के प्रसिद्ध  एवं  उत्कृष्ट  समाचार  के  माध्यम से  मै यह बताना  चाहता हूँ कि  आज विज्ञापनों के  दौर में  जनता  इतनी भ्रमित हो  जा रही है  कि वस्तुओं की  गुणवत्ता  पर ध्यान  ही नहीं  दिया जा रहा है  । विज्ञापनों को  इतना  लुभावना  बनाया  जाता है  कि लोग शीघ्र ही  आकर्षित  हो जाते हैं , खासकर  वच्चे  फिर  जिनकी जिद के आगे  बडों  की  एक  न चलती  है  । बच्चे  विज्ञापन  टेलीविजन पर  पर देखते हैं  औऱ  बडों  से जिद करके खरीदवाते हैं  ।  इसप्रकार  खराब गुणवत्ता  वाली  वस्तुएं  बाजार में  धडल्ले  से बिकती हैं । मैं  आप के  समाचार पत्र के  माध्यम से मै  लोगों को  आगाह  कराना  चाहता  हूँ कि वे कोई भी  चीज  खरीदने के  पहले  उसकी  गुणवत्ता  देखें  ।  बाजार में  उससे  उत्तम बस्तु  कम कीमत में  मिलती है  । इस  प्रकार ठगे जाने  से भी  बचा जा सकता है ।
                     अतः  महोदय  से  निवेदन है कि  आप इस  बिषय को अपने  समाचार पत्र में  छापकर  हमें  अनुग्रहीत  करें  ।इससे  देश  के  निर्माण में भी  मदद होगी  ।

सधन्यवाद
भवदीय
क्ष त्र ज्ञ

दिनांक  - 14 मार्च  2016

Friday, May 13, 2016

पारंपरिक भोजन बनाम फास्ट फूड

पारंपरिक भोजन  अर्थात वह भोजन जो पुरानी परंपरा के अनुसार पकाया  व खाया जाता है । पारंपरिक  भोजन  शरीर  की  आवश्यकता  के अनुसार तैयार किया  जाता है  ।यह शरीर  की रोग प्रतिरोधक क्षमता को  बढाता है । इस से शरीर को  संतुलित  खुराक  मिलती है  । मोटापा नहीं  बढता तथा  शरीर  स्वस्थ रहता है  । भोजन  को जरूरत के अनुसार  उचित  ढंग से  उबालकर  ,सेंककर अथवा तलकर पकाया  जाता है । इसके  विपरीत  फास्ट फूड को पकाने  का तरीका  बिल्कुल  अलग  होता है । फास्ट फूड  जरूरत  से अधिक  पकाया  जाता है  ।स्वाद बढाने के लिए  इसमें  अजीनोमोटो जैसी  चीजों का इस्तेमाल किया जाता है  जो  स्वास्थ्य  के  लिए बहुत ही  खतरनाक  होता है । स्वाद से आकृष्ट  युवावर्ग  फास्ट फूड  की  अच्छाई  व बुराई को  समझे  बिना  उपयोग  करते हैं ,जिसका  असर  उनके  मन ,मस्तिष्क  तथा  स्वास्थ्य  पर  पडता  है  । फास्ट फूड का  अधिक उपयोग  करने  वाले  लोग  समय से पहले ही  उच्च  रक्तचाप  ,डायविटीज  जैसी  बीमारियों के  शिकार हो जाते हैं  । इससे  युवा वर्ग  को सावधान रहने की  आवश्यकता है ,  जिससे  लंबा सुखी  व स्वस्थ  जीवन  जी सकें  ।

समरथ को नहिं दोष गोसाईं ।

'समरथ को नहिं दोष गोसाईं ' सूक्ति  से यह तात्पर्य है कि  जो व्यक्ति  ताकतवर है  उसकी  गलतियों को  लोग  नही देखते  या देखकर  भी ध्यान  नहीं  देते क्योंकि  उसका  वे कुछ  कर नहीं सकते हैं । एक  थानेदार  किसी  सामान्य  नागरिक  की गलती पर उसके  साथ  जैसा बर्ताव करता है,  उस तरह का बर्ताव  वह किसी  राजनेता के साथ,  उससे बडी  गलती  पर भी  नहीं  करता  , जबकि  कानून  सबके लिए एक ही  होता है । एक राजा  थे । उनका  एक बेटा  था । बेटा  गुरुकुल में  पढता था  । उसी गुरुकुल में   अन्य  बाबालक  भी पढते थे  । गलती  राजा  का बेटा  करता  ,सजा  दूसरे  वच्चे को मिलती । यही नहीं, बल्कि  अच्छा  कार्य  दूसरे  बच्चे   करते  , पुरस्कार राजा  के  लडके  को मिलता था  ।  एक दिन  सभी  बच्चे  मुख्य  आचार्य  से शिकायत  करने  गए,  मुख्य  आचार्य ने  उन्हें  समझाते हुए कहा,  - बच्चों  देखो ,क्या  तुममें  से पहले  कभी  किसी  शेर की  बलि  चढाते  देखा है  ? जिस तरह   केवल बकरे की  बलि दी जाती है,  उसी तरह  समर्थ लोगों की  गलती नहीं  किसी को भी नहीं  दिखाई देती है । अर्थात  समरथ के  नहि दोष गोसाईं  ।