तुम कविता हम संगीत प्रिये ।
तुम वसंत हम गीत प्रिये ।।
हम वंशी तुम समीर प्रिये,
तुम प्राण हम शरीर प्रिये ।
तुम राग - द्वेष से परे, हम
माया के बंधन में जकडे ।
तुम वसंत हम शीत प्रिये,
तुम कविता हम संगीत प्रिये ।।
तुम सुंदर सुमन सुगंधित,
हम पतझड से युक्त प्रिये,
तुम कविता की अविरल धारा
हम लय -ताल -वद्ध संगीत प्रिये,
तुम कविता हम संगीत प्रिये ।
तुम वसंत हम गीत प्रिये ।।
राजेंद्र मिश्रा