दुर्योधन शकुनि की चाल बडी
दोनों ने मिलकर युक्ति गढी ।
जो गुड देने से मर जाए
उसको क्यों जहर दिया जाए।।
विरोचन को आज्ञा दें दी
लाक्षागृह का निर्माण करो ।
पांडव का काल निकट आया
अंत्येष्टि का इंतजाम करो ।।
पांडव को बहला कर के
लाक्षागृह रहने भेज दिया ।
कपटी दुर्योधन इस प्रकार
नया खेल था खेल दिया ।।
षड्यंत्र सफल होता कैसे
विदुर- निति के आगे
पांडव लाक्षागृह जला दिये
स्वयं सुरंग से भागे ।।
राजेंद्र प्रसाद मिश्र
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