ऐसा कोई देश नहीं है ,
भिन्न -भिन्न भाषाएँ यहां है
भिन्न -भिन्न है इसके बोल
रंग -विरंगी तितली ,कलियाँ
रंग -विरंगे यहां हैं फूल
इसके पावन धर्म -स्थल हैं
काशी- मथुरा हृषिकेश |
ऐसा कोई देश नहीं है ,
जितना सुन्दर मेरा देश ||
पर्वत इसके प्रहरी से है
सिंचित धरा नदी जल से
सागर इसके चरण पखारे
लहरों के निर्मल कर से
जगह- जगह पर अपनी बाणी
राज्य -राज्य का अपना वेश
ऐसा कोई देश नहीं है ,
जितना सुन्दर मेरा देश |
लोपमुद्रा एवं अपाला
लक्ष्मीबाई- कर्मावती
सीता-सावित्री एवं गार्गी
कुंती-तारा-द्रौपदी
शौर्य ज्ञान की अमर मूर्ति बन
देती है हमको सन्देश
ऐसा कोई देश नहीं है ,
जितना सुन्दर मेरा देश
राजेंद्र रामनाथ मिश्र
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