एक आशा की किरण रंगीन,
कलियों को मिली ||
अधखिली नन्ही कली
बोलने कुछ यूँ लगी ---
बेटी दिल का टुकड़ा है
बेटी जिगर का प्यार,
फिर क्यों छीन रहे हो
मुझसे जीने का अधिकार ||
बेटी माँ की ममता है
बेटी पिता का मान |
बेटी बिन दुनियाँ न चलेगी,
विधि का यही विधान ||
बेटी की भी है तमन्ना,
देखूँ मैं संसार |
फिर क्यों छीन रहे हो
मुझसे जीने का अधिकार ||
बेटी जीवन में जल देती ,
पुत्र मृत्यु के बाद |
वह नर नहीं निशाचर है
जो देता बेटी को दुत्कार ||
जिजीविषा मेरी भी है
स्वप्नों का मेरा संसार |
फिर क्यों छीन रहे हो
मुझसे जीने का अधिकार ||
मुझे जगत में आने दो
मेरी भी जीने की चाह |
अश्म से आसूं बह सकती है
पर्वत पर बन सकती राह ||
अधखिली नन्ही कली,
कर रही जग से गुहार |
आज मनुज! क्यों छीन रहे हो
मुझसे जीने का अधिकार ||
राजेंद्र रामनाथ मिश्र
कलियों को मिली ||
अधखिली नन्ही कली
बोलने कुछ यूँ लगी ---
बेटी दिल का टुकड़ा है
बेटी जिगर का प्यार,
फिर क्यों छीन रहे हो
मुझसे जीने का अधिकार ||
बेटी माँ की ममता है
बेटी पिता का मान |
बेटी बिन दुनियाँ न चलेगी,
विधि का यही विधान ||
बेटी की भी है तमन्ना,
देखूँ मैं संसार |
फिर क्यों छीन रहे हो
मुझसे जीने का अधिकार ||
बेटी जीवन में जल देती ,
पुत्र मृत्यु के बाद |
वह नर नहीं निशाचर है
जो देता बेटी को दुत्कार ||
जिजीविषा मेरी भी है
स्वप्नों का मेरा संसार |
फिर क्यों छीन रहे हो
मुझसे जीने का अधिकार ||
मुझे जगत में आने दो
मेरी भी जीने की चाह |
अश्म से आसूं बह सकती है
पर्वत पर बन सकती राह ||
अधखिली नन्ही कली,
कर रही जग से गुहार |
आज मनुज! क्यों छीन रहे हो
मुझसे जीने का अधिकार ||
राजेंद्र रामनाथ मिश्र
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