Saturday, June 25, 2016

आप के चाचा सेवा निवृत्त होकर गरीब ,असहाय बच्चों को शिक्षा देने का कार्य करते हैं, उनके इस नेक कार्य के लिए उनकी सराहना करते हुए पत्र लिखो ।

परीक्षा भवन
क ख ग विद्यालय
च छ ज नगर

दिनांक - 26 जून  2016

परम आदरणीय  चाचा जी
सादर  चरण स्पर्श

इसके  पश्चात विदित हो कि कल मै  समाचार पत्र में  आपकी  तस्वीर  देख कर  आश्चर्य चकित रह गया ।पढने के बाद पता चला कि  आप  एक  गैर  सरकारी संस्था के  माध्यम से गरीब और  बेसहारा  बच्चों  को  शिक्षा  प्रदान करने का  नेक कार्य  कर रहे हैं  । एक सेवा निवृत्त  व्यक्ति के लिए  इससे बेहतर और  क्या हो सकता है ।  आप का यह नेक  कार्य  अत्यंत  सराहनीय है  । यह हमारे  परिवार  के लिए  गर्व की बात है  । लोग  सेवा  निवृत्त होकर घूमने फिरने  तीर्थ यात्रा  करने आदि  जैसे  पुण्य  कार्य  करना  चाहते हैं  परंतु  आप ने बेसहारा  गरीब बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का जो  नेक कार्य  चुना है, वह अत्यंत महत्वपूर्ण  एवं  सराहनीय है ।
आप  को यह पत्र  लिखते  हुए मुझे  गर्व  के साथ  खुशी का  अनुभव  हो रहा है ।  इसके  लिए  आप  की जितनी भी प्रशंसा की  जाए  कम है  । चाची जी  एवं  दादा - दादी  को मेरी ओर से  प्रणाम  कहना  ।

आप का  प्रिय  भतीजा 
क्ष त्र  ज्ञ

Friday, June 24, 2016

अपनी छोटी बहन को फैशन मैगजीन छोडकर पाठ्य पुस्तक पढने की सलाह देते हुए पत्र ।

परीक्षा भवन
क ख ग विद्यालय
च छ ज  नगर

दिनांक  - 24 जून  2016

प्रिय  अनुजा
शुभाशीष 
इसके   पश्चात विदित  हो कि घर से पिता जी  का पत्र मिला  । पढकर  समाचार  ज्ञात हुआ  । पिता जी ने पत्र में लिखा था कि  तुम  आज कल फैशन  मैगजीन  पढने पर  अधिक ध्यान  दे रही हो । तुम्हें  यह ज्ञात  होना चाहिए कि फैशन  मैगजीन  पढने  से  कुछ  हासिल  होने वाला नहीं है  । इससे  तुम्हारा कीमती समय नष्ट हो  रहा है  । इसके  बजाय  तुम  अपनी  पाठ्य  पुस्तकें पढने में  मन लगाओ  जो  तुम्हारे लिए  परीक्षा में  उपयोगी साबित होगा । वैसे भी  पिछली बार  परीक्षा में  तुम्हारे  अंक  बहुत  अच्छे  नहीं  थे । यदि  यही  हाल रहा तो पास  होना  भी  मुश्किल हो  जाएगा  । पिता जी  को  तुम्हारे  ऊपर बहुत  गर्व  है  ।

पत्र  लिखकर  उम्मीद  करता हूँ कि  क  तुम  मेरी  बातों  पर ध्यान  दोगी  और  पढाई  में मन लगाओगी । दादा - दादी  और  माँ की  ओर से  ढेर  सारा प्यार  ।

तुम्हारा प्रिय  अग्रज
क्ष  त्र  ज्ञ

Thursday, June 23, 2016

बिना बिचारे जो करे सो पाछे पछताय । (अनुच्छेद )

हमें  कुछ  भी बोलने  या  करने से पहले  विचार  लेना चाहिए । एक  उक्ति है कि - समझदार  व्यक्ति  किसी  बात को  बोलने तथा  किसी  कार्य के  करने के  पहले  सोचता है  जबकि  मूर्ख  बोल  कर या  कार्य  करने के बाद पछताता है । लोग अपनी  वाणी पर नियंत्रण  नहीं रखते जो  कभी  - कभी  दुख  का कारण बन जाती है ,  जिससे  उन्हें  हॅसी का पात्र बनना पडता है । यही नहीं,  उन्हें  इसी कारण से  मानसिक  त्रास  झेलना पडता है । मन दुखी  रहता है । हमारे किए गए  व्यवहार या  बोली गई  वाणी से  सामने वाले  व्यक्ति को  दुख होता है । दूसरे  को  दुख  पहुचाॅना ही पाप कहा  जाता है ।पाप के द्वारा  धर्म  तथा  यश की हानि होती है । अतः  हमें  प्रयास  करके  बिना  विचारे न तो बोलना चाहिए  और न ही कोई ऐसा काम  करना चाहिए  जिससे  दूसरों को  दुख  पहुंचे ।

भारतीय किसान (अनुच्छेद )

भारतीय  किसान  त्याग  और  तपस्या की  की  मूर्ति  होता है  । वह अपने  सुख  का  त्याग कर  गर्मी,  सर्दी, तथा बरषा  की  परवाह किए बिना ही  पूरे  दिन खेतों में काम करता है । वह हमारे लिए  अन्न  पैदा  करता है । किसान का जीवन  सदैव  अभाव  से ग्रसित  रहता है । उसे  पहनने के लिए  पर्याप्त  वस्त्र  नहीं  मिलता है । सबसे  बडी  बिडंबना  तो यह है कि जो  किसान  दूसरे के लिए  अन्न  पैदा  करता है , कभी - कभी  उसे  ही भूखा  रहना  पडता है । वह रूखी  - सूखी खाकर  अपना जीवन यापन  करता है । उसके  घर  भी  घास - फूस के  बने  बदहाल  होते हैं । किसानों की  स्थिति में सुधार लाने की बडी  आवश्यकता है ।भारत  सरकार ने इसके लिए  अनेक कदम उठाए हैं । किसानों की  सादगी का लाभ  नौकरशाह  उठाते हैं । सरकार के  द्वारा  दी गई  सहायता  का आधे से अधिक  हिस्सा  सरकारी  बाबुओं  की जेब में  जाता है । मौजूदा  सरकार ने इसे  गंभीरता से लेते हुए  लोगों के  खाते  जन - धन योजना के तहत  खुलवाए  हैं ।

Friday, June 10, 2016

मेरा प्रिय नेता

हमारे देश में  अनेक  नेता  हैं । मै सब का सम्मान  करता हूँ  । महात्मा गांधी  , जवाहर लाल नेहरू  , लालबहादुर  शास्त्री , इंदिरा गांधी  ,अटल बिहारी वाजपेयी  ,नरेंद्र मोदी  इत्यादि  हमारे  नेता  है । इनमें से नरेंद्र मोदी  मेरे  सबसे प्रिय नेता  हैं।  वह हमारे देश के  वर्तमान  प्रधानमंत्री  हैं । वह भ्रष्टाचार के  घोर विरोधी  हैं ।  उन्होंने  देश के  विकास के लिए  अनेक  साहसिक कदम उठाए  । उन्होंने  आतंकवाद  का खुलकर विरोध किया है ।  उन्होंने  विश्व  को बताया कि  आतंकवाद  की न कोई  जाति है  और  न ही कोई  धर्म  । आतंकवाद से निपटने के लिए  दुनिया के  सभी  देशों को एक साथ  मिलकर काम करना होगा  । वह एक  कर्मठ  नेता  हैं । उन्होंने  दुनिया के सामने  योग की उपयोगिता  तथा  लाभ के  महत्व को  बताया  ।  युनाइटेड नेशन  ने उनकी  पहल पर ही  21 जून  को   विश्व  योग  दिवस  के  रूप में  मनाने की  घोषणा की  । वह देश के विकास के लिए कटिबद्ध  हैं । उन्होंने देश की  सुरक्षा के लिए अनेक कदम उठाए  ।  उन्होंने  देश की शाख को  विश्व  में बढाया है । वह विकास  पुरुष के  रूप में  जाने  जाते हैं  ।

Thursday, June 9, 2016

ग्लोबल वार्मिंग के बढते खतरे पर चिंता व्यक्त करते हुए किसी दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए ।

परीक्षा  भवन
क ख ग विद्यालय
च छ ज नगर

दिनांक -  7 जून  2016

सेवा में
संपादक
नवभारत टाइम्स
शिवाजी मार्ग
नई दिल्ली  -110003

विषय  - ग्लोबल वार्मिंग के बढते खतरे  पर  ध्यान  आकर्षण  हेतु  ।

महोदय

आप के प्रसिद्ध  समाचार पत्र के माध्यम से  मै पर्यावरण  मंत्रालय  का ध्यान  आकर्षित  कराना चाहता हूँ तमाम  कोशिशों के बावजूद  ग्लोबल वार्मिंग  का खतरा  कम नहीं  हो रहा है । सरकार  विज्ञापनों के जरिये  , वृक्षारोपण  द्वारा  तथा अन्य कई प्रकार से  लोगों का ध्यान  आकर्षित करने  का प्रयास कर रही है  । लगातार  बढते  शहरीकरण  तथा  जनसंख्या  बृद्धि के  कारण  सारे प्रयास  असफल  हो  रहे हैं ।

आप  के प्रसिद्ध  समाचार पत्र के माध्यम से  मैं  भारत  ही नहीं  बल्कि  दुनिया भर के लोगों  को  आगाह कराना चाहता हूँ कि  ग्लोबल वार्मिंग  एक भयंकर  राक्षस  है जो  एक न एक दिन  दुनिया  को निगल  जाएगा  । समय रहते  यदि  चेता नहीं  जाएगा  तो  इसके  भयंकर  परिणाम  होंगे  ।बिना  समय  की बारिश , बर्फबारी  , तापमान में  परिवर्तन  ग्लोबल वार्मिंग के  ही परिणाम हैं  ।

अतः  महोदय  आप  से  आग्रह है कि  आप  अपने  लेख के  माध्यम से  ग्लोबल वार्मिंग के बढते खतरे से  लोगों को आगाह करते हुए  विश्व  संरक्षण में  सहयोग  करने की  कृपा करें  ।

भवदीय
क्ष त्र ज्ञ

अपने छोटे भाई को कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर बधाई देते हुए पत्र लिखिए ।

203 , शिवाजी पार्क
सिटी  लाइट
सुरत -395007

दिनांक - 5 जून  2016

प्रिय  अनुज
शुभाशीष  , तुम्हारा पत्र  मिला । पढकर  समाचार  ज्ञात हुआ  ।यह  जानकर  खुशी हुई कि  तुम  परीक्षा में  प्रथम स्थान प्राप्त  किए  हो ।यह  सब  तुम्हारे  परिश्रम  का  फल है ।  इसके  लिए  तुम्हें  बहुत  बहुत बधाईयाँ ।साथ ही  मुझे  तुमसे  यह उम्मीद  है कि  तुम  इसी तरह  आगे भी  सफलता  प्राप्त  करते  रहोगे । तुमने  पूरे परिवार  का सम्मान  बढाया है ।
मम्मी  - पापा  एवं  दादा  - दादी  की ओर से  आशीर्वाद ।

तुम्हारी  अग्रजा
शिवांगी  अग्रवाल

Wednesday, June 8, 2016

वाहन चोरी हो जाने पर थानेदार को शिकायत पत्र ।

परीक्षा  भवन
क ख ग विद्यालय
च छ ज नगर

दिनांक  - 5 जून 2016

सेवा में
थानाध्यक्ष
उमरा पुलिस  स्टेशन
सुरत - 395007

विषय  - वाहन चोरी  हो  जाने पर थानेदार को शिकायत पत्र ।

महोदय
निवेदन  है कि मै शिवाजी  पार्क का  निवसी हूँ  ।मेरी  स्विफ्ट  कार  , जिसका  रजिस्टेशन नं - जी जे 5 -   2436  है,  मेरे  घर के सामने से  किसी  चुरा लिया  । जिसका एफ आई आर  मैने गत 31 मई को  ही लिखा  दिया है  । गाडी का रंग  सफेद है  और  नीले रंग का  पट्टा  बना हुआ है  । यह लगभग एक  बजे  रात  के बाद  का वाकिया है ।  मै  30 मई की रात साढे  बारह बजे अपने  परिवार के साथ  सिनेमा  देखकर  आने के बाद  अपने घर के सामने  गाडी  खडी कर दिया   था  । गाडी  2014  माॅडल  की है ।
                                       अतः  श्रीमान जी  से निवेदन है कि  उचित  कार्यवाही  करते हुए  चोर का  पता लगाने  का कष्ट करें । पत्र  लिखकर  मैं  उम्मीद करता हूं कि  मेरी  गाडी  का  पता  अवश्य  लग जाएगा  ।

भवदीय
क्ष त्र ज्ञ

Tuesday, June 7, 2016

बिन सत्संग विवेक न होई ।

प्रस्तुत  सूक्ति ' बिन सत्संग  विवेक न होई  'का तात्पर्य यह है कि  कितनी ही  शिक्षा  क्यो न प्राप्त कर ली  जाए  पर  बिना  सत्संग के  ज्ञान  नहीं  प्राप्त  किया जा सकता है । सत्संग का  अर्थ है सज्जनों की  संगति तथा  विवेक  का  अर्थ है  :-   सत्य - असत्य   ;  अच्छे - बुरे  के अंतर का ज्ञान  होना ।यह  ज्ञान  मात्र  सज्जनों  की संगति  से ही प्राप्त  किया जा सकता है । व्यक्ति  जिस प्रकार  की संगति करता है , उसी प्रकार का  गुण  सीखता है । एक वृक्ष पर तोते के दो बच्चे  रहते थे,  एक  बच्चा  एक ऋषि के  आश्रम में रहकर  पला  । वह  आश्रम में  आने वाले  हर व्यक्ति  का अभिवादन  किया  करता था  । इसके  विपरीत  दूसरा  बच्चा  चोरों  की  संगति  में  पला  । वह तोता  चोरों को  उस रास्ते से  आने वाले  राही की  सूचना  देता था, जिससे  चोर यात्रियों को  लूट लिया  करते थे  । यह संगति का ही असर  था कि दोनों  तोतों  का स्वभाव  विपरीत  गुणों  वाला  हो गया  ।

Monday, May 16, 2016

संवाद - सैनिक तथा अफसर के बीच

सैनिक  -श्रीमान जी, मेरी माँ  की  तबियत  खराब है । मुझे  उसके  पास  जाना है  ।इसलिए  मुझे  कुछ दिनों  का  अवकाश  चाहिए  ।
अफसर - इस  समय  अवकाश  नहीं  मिल  सकता  । हमारे  बटालियन में  कई सैनिक  पहले ही  अवकाश पर  है ।
सैनिक  - परन्तु  , सर ! माँ  के प्रति  मेरा  भी कुछ  कर्तव्य है  ।
अफसर - इस  माॅ के के प्रति  तुम्हारा  कर्तव्य  नहीं है  ।
सैनिक - ऐसा  क्यों  कहते हैं  सर , इस  माँ के लिए तो मेरा सिर  भी  हाजिर है  ।
अफसर - ठीक है  , आज  ही अन्य लोगों को  उपस्थित  होने की  सूचना  भेजी  जाएगी  ।किसी के  आते ही  तुम  माँ के पास  चले जाना ।
सैनिक -  यस सर ।धन्यवाद  ।

Saturday, May 14, 2016

विज्ञापनों का आम जनता पर प्रभाव पडता है । इस विषय पर प्रकाश डालते हुए संपादक को पत्र ।

परीक्षा भवन
क ख ग विद्यालय
च छ ज नगर

सेवा में
संपादक , नवभारत टाइम्स
अशोक  नगर
नई दिल्ली  - 110001

महोदय
आप  के प्रसिद्ध  एवं  उत्कृष्ट  समाचार  के  माध्यम से  मै यह बताना  चाहता हूँ कि  आज विज्ञापनों के  दौर में  जनता  इतनी भ्रमित हो  जा रही है  कि वस्तुओं की  गुणवत्ता  पर ध्यान  ही नहीं  दिया जा रहा है  । विज्ञापनों को  इतना  लुभावना  बनाया  जाता है  कि लोग शीघ्र ही  आकर्षित  हो जाते हैं , खासकर  वच्चे  फिर  जिनकी जिद के आगे  बडों  की  एक  न चलती  है  । बच्चे  विज्ञापन  टेलीविजन पर  पर देखते हैं  औऱ  बडों  से जिद करके खरीदवाते हैं  ।  इसप्रकार  खराब गुणवत्ता  वाली  वस्तुएं  बाजार में  धडल्ले  से बिकती हैं । मैं  आप के  समाचार पत्र के  माध्यम से मै  लोगों को  आगाह  कराना  चाहता  हूँ कि वे कोई भी  चीज  खरीदने के  पहले  उसकी  गुणवत्ता  देखें  ।  बाजार में  उससे  उत्तम बस्तु  कम कीमत में  मिलती है  । इस  प्रकार ठगे जाने  से भी  बचा जा सकता है ।
                     अतः  महोदय  से  निवेदन है कि  आप इस  बिषय को अपने  समाचार पत्र में  छापकर  हमें  अनुग्रहीत  करें  ।इससे  देश  के  निर्माण में भी  मदद होगी  ।

सधन्यवाद
भवदीय
क्ष त्र ज्ञ

दिनांक  - 14 मार्च  2016

Friday, May 13, 2016

पारंपरिक भोजन बनाम फास्ट फूड

पारंपरिक भोजन  अर्थात वह भोजन जो पुरानी परंपरा के अनुसार पकाया  व खाया जाता है । पारंपरिक  भोजन  शरीर  की  आवश्यकता  के अनुसार तैयार किया  जाता है  ।यह शरीर  की रोग प्रतिरोधक क्षमता को  बढाता है । इस से शरीर को  संतुलित  खुराक  मिलती है  । मोटापा नहीं  बढता तथा  शरीर  स्वस्थ रहता है  । भोजन  को जरूरत के अनुसार  उचित  ढंग से  उबालकर  ,सेंककर अथवा तलकर पकाया  जाता है । इसके  विपरीत  फास्ट फूड को पकाने  का तरीका  बिल्कुल  अलग  होता है । फास्ट फूड  जरूरत  से अधिक  पकाया  जाता है  ।स्वाद बढाने के लिए  इसमें  अजीनोमोटो जैसी  चीजों का इस्तेमाल किया जाता है  जो  स्वास्थ्य  के  लिए बहुत ही  खतरनाक  होता है । स्वाद से आकृष्ट  युवावर्ग  फास्ट फूड  की  अच्छाई  व बुराई को  समझे  बिना  उपयोग  करते हैं ,जिसका  असर  उनके  मन ,मस्तिष्क  तथा  स्वास्थ्य  पर  पडता  है  । फास्ट फूड का  अधिक उपयोग  करने  वाले  लोग  समय से पहले ही  उच्च  रक्तचाप  ,डायविटीज  जैसी  बीमारियों के  शिकार हो जाते हैं  । इससे  युवा वर्ग  को सावधान रहने की  आवश्यकता है ,  जिससे  लंबा सुखी  व स्वस्थ  जीवन  जी सकें  ।

समरथ को नहिं दोष गोसाईं ।

'समरथ को नहिं दोष गोसाईं ' सूक्ति  से यह तात्पर्य है कि  जो व्यक्ति  ताकतवर है  उसकी  गलतियों को  लोग  नही देखते  या देखकर  भी ध्यान  नहीं  देते क्योंकि  उसका  वे कुछ  कर नहीं सकते हैं । एक  थानेदार  किसी  सामान्य  नागरिक  की गलती पर उसके  साथ  जैसा बर्ताव करता है,  उस तरह का बर्ताव  वह किसी  राजनेता के साथ,  उससे बडी  गलती  पर भी  नहीं  करता  , जबकि  कानून  सबके लिए एक ही  होता है । एक राजा  थे । उनका  एक बेटा  था । बेटा  गुरुकुल में  पढता था  । उसी गुरुकुल में   अन्य  बाबालक  भी पढते थे  । गलती  राजा  का बेटा  करता  ,सजा  दूसरे  वच्चे को मिलती । यही नहीं, बल्कि  अच्छा  कार्य  दूसरे  बच्चे   करते  , पुरस्कार राजा  के  लडके  को मिलता था  ।  एक दिन  सभी  बच्चे  मुख्य  आचार्य  से शिकायत  करने  गए,  मुख्य  आचार्य ने  उन्हें  समझाते हुए कहा,  - बच्चों  देखो ,क्या  तुममें  से पहले  कभी  किसी  शेर की  बलि  चढाते  देखा है  ? जिस तरह   केवल बकरे की  बलि दी जाती है,  उसी तरह  समर्थ लोगों की  गलती नहीं  किसी को भी नहीं  दिखाई देती है । अर्थात  समरथ के  नहि दोष गोसाईं  ।

Monday, April 25, 2016

पिताजी को अपनी परीक्षा की तैयारी के बारे में जानकारी देते हुए पत्र लिखो ।

परीक्षा  भवन
क ख ग विद्यालय
च छ ज नगर 

दिनांक  - 25 अप्रैल  2016

आदरणीय  पिताजी
सादर चरण स्पर्श, के पश्चात विदित हो कि आप का पत्र मिला, पढकर समाचार से अवगत हुआ । आप ने परीक्षा की तैयारी के बारे में पूछा है । मेरी परीक्षा अग्रिम मास की पाॅचवी तारीख से प्रारंभ हो रही है । मै भी अपने  जी  -जान से  परीक्षा  की तैयारी में लग गया  हूँ । सुबह पाँच बजे से सात बजे तक पढाई करने के बाद विद्यालय जाता हूँ । विद्यालय से लौटने के बाद , भोजन  कर के  रूप  पुनः  पढने के लिए  बैठ जाता हूँ ।  इस  बार  मैं  आप  की कसौटी पर खरा उतरने का प्रयास करूँगा । प्रयास ही नहीं, बल्कि  कक्षा में  प्रथम स्थान प्राप्त करने का प्रयास  करूँगा । 
दादा  -दादी एवं मम्मी   को मेरी ओर से प्रणाम कहना । छोटे  भाई को  मेरा  ढेर  सारा प्यार  ।

आप  का प्रिय  पुत्र
क्ष त्र ज्ञ

Sunday, April 24, 2016

अपने मित्र की दादी की मृत्यु होने पर उसे शांत्वना देते हुए पत्र लिखो ।

203 , जनकपुरी
आनंद  मंगल  रोड
नई दिल्ली - 111111

दिनांक  - 24 मार्च  2016

प्रिय मित्र
नमस्कार  , आप की  दादी की मृत्यु  का दुखद समाचार  मिला । मुझे तो पहले  विश्वास  ही नहीं  हो रहा था  क्योंकि  मै अभी पिछले  हफ्ते ही  उनसे  मिला था । उस समय  वह एक दम स्वस्थ  थी  । उनका  अचानक  स्वर्ग वास आप  के  परिवार के लिए  अपूरणीय  क्षति है । मेरी ईश्वर  से प्रार्थना है कि  वह उनकी  आत्मा को शांति  प्रदान  करें  तथा परिवार  वालों को सहनशक्ति  दे  ।दुख की इस घडी में हम सब आप लोगों के साथ हैं । मित्र  यद्यपि यह  आप  के  परिवार के लिए यह बहुत  बडी  क्षति  है पर यह  अपने  बस में नहीं है । जो  इस  दुनिया में  आया है  उसे एक दिन  जाना  ही पडेगा ।यही सत्य तथा  शाश्वत है । उनका  मिलनसार स्वभाव  तथा  प्रिय  स्वभाव  उन्हें  श्रदेय बना दिया है ।

तुम्हारा  प्रिय मित्र
क्ष त्र ज्ञ

Saturday, April 23, 2016

अपने मित्र को गर्मी की छुट्टियाँ मनाने के लिए अपने घर आमंत्रित करते हुए पत्र ।

48 ,शिवाजी नगर
आनंद  रोड
नई दिल्ली - 111111

दिनांक  - 22 अप्रैल  2016

प्रिय  सुह्रृद
तुम्हारा  पत्र  मिला । पढकर  समाचार  ज्ञात हुआ । तुम्हारा  ग्रीष्मावकाश आगामी  सप्ताह से प्रारंभ होने  जा रहा है ।  इस बार  मेरे मन में एक उत्तम  विचार  आया है  जिसे जानकर  तुम्हें  खुशी  होगी । वह शुभ विचार  यह है कि  तुम  इस  बार  गर्मी  की छुट्टियाँ  बिताने  मेरे  घर  आओगे ।  यह मेरी  आज्ञा  नहीं, निवेदन है । मुझे  इससे भी अधिक  खुशी  तब होगी जब  तुम मेरे  घर  पधारोगे ।वैसे तो  छुट्टियाँ  कैसे  बितानी हैं  इसकी  रूपरेखा  मैने तैयार  कर ली है, पर मैं  यह सोचता हूँ कि  यदि तुम्हारे  विचार  न जानूँ  तो  तुम्हारे साथ  नाइंसाफी  होगी । इसलिए  तुमसे  यह अनुरोध है कि 'छुट्टियाँ  कैसे  बिताना  है ' इसकी  रूपरेखा  योजना बद्ध ढंग से  लिखकर  मुझे  पत्र  द्वारा  अवगत  कराओगे । मैं  तुम्हारे  पत्र के  इंतजार में  रहूँगा  ।
अपने  माता- पिता  एवं बडे  भाई  को मेरी ओर से  प्रणाम  कहना । पत्रोत्तर  शीघ्र  देना ।

तुम्हारा मित्र
क्ष त्र ज्ञ

Monday, January 18, 2016

आतंकवाद का अंत

तुम  को  गर कुछ  सुनना है,  सुनो मधुर मधु-गीत प्रिये ।
बाहर  जग में कुछ  रहा  नहीं ,मन मे मन के संगीत  प्रिये ।
जग में  हिंसाचार बढा,       दुख  का है अंबार  बढा  ।
बढ रही समस्या मानव-निर्मित ,लोभ- मोह का भार बढा ।।
अब होड लगी  हथियारों की ,बम गोलों  की  अंगारों  की ।
छल दंभ दोष पाषंडो की, दुश्मन के  अत्याचारों  की  ।।

आतंकवाद का  राक्षस  अब  अपना मुँह  फैलाया है ।
सारे  जग को खा  जाने  को  छद्म वेष में  आया है  ।।
दानव और  देव , इस जग में  लडते  रहे निरंतर  ।
पर दोनों के  लक्ष्य  -भाव में बहुत  बडा  है अंतर ।।
दानवों  का दर्प दलन दुनिया  से  जिस  दिन  होगा ।
आतंकवाद  का अंत,  विश्व का विजय दिवस वह होगा  ।।
    
                       ,                                                        राजेंद्र प्रसाद मिश्र

Sunday, January 17, 2016

करत - करत अभ्यास से जडमति होत सुजान । Karat - Karat Abhys Se Jadmati Hot Sujan .

                                                                करत  - करत अभ्यास से जडमति होत सुजान ।
                                                                 रसरी आवत जात से  शिल पर परत निशान  ।।
' करत  - करत अभ्यास से जडमति होत सुजान ' सूक्ति से तात्पर्य यह है कि बार बार  अभ्यास  करते  रहने से  मूर्ख व्यक्ति  भी बुद्धिमान  हो जाता है । ' बिना अभ्यासे विषम विद्या  ' अर्थात  अभ्यास के  अभाव में बडे -  बडे  चालाक  व्यक्ति की  बुद्धि  भी कुंठित हो जाती है ।  संस्कृत के  श्रेष्ठ  ग्रंथ  ' लघु सिद्धांत  कौमुदी ' के रचयिता ' बरदराज '  बचपन में  मंदबुद्धि  थे । गुरुकुल  से  उन्हें  इसलिए  निकाल दिया गया  ,  क्योंकि वह  मंदबुद्धि  थे । एक दिन  गुरु  जी ने  बरदराज  से  कहा,  पुत्र ! पढना  लिखना  तुम्हारे  बस का नहीं है ।  अब  तुम  घर  जाकर अपने  पिताजी के  काम में  उनकी मदद  करो । बरदराज  भारी मन स घर के  लिए  प्रस्थान किया  । रास्ते में एक  कुएँ  पर देखा  कि रस्सी  की रगड  से  कुएँ  की जगत पर  निशान पड  गया है । यह  देख  उनके  मन में  बिजली सी कौध गई । उन्होंने  सोचा यदि  कोमल रेशे से बनी हुई  रस्सी  कुएँ  की जगत को काट सकती है तो  बार - बार  के अभ्यास से  मुझे  पढना  लिखना  क्तो नहीं  आ सकता  । इस  विचार के साथ  वह गुरुकुल  लौट  गए और  गुरु जी   से एक  अवसर  और  देने का  आग्रह  किए ।इस प्रकार  सतत अभ्यास के  द्वारा  वे संस्कृत के  महान  विद्वान  बन गए । इस प्रकार  निरंतर  अभ्यास के  द्वारा  हम भी सफलता  प्राप्त  कर सकते हैं ।

Saturday, January 16, 2016

नर हो न निराश करो मन को ।Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko .

मनुष्य  ईश्वर की  सबसे  श्रेष्ठ  कृति है ।  आशा  और  निराशा  उसके  दिमाग  की उपज है । ' नर हो न  निराश करो मन को  ' सूक्ति हमें  जीवन में  निराश न होने  की प्रेरणा  देती है । सफलता  प्राप्त  होने  पर व्यक्ति प्रसन्न होता है  और  असफलता निराशा  लाती है  । असफल  होने  पर  मनुष्य को  निराश नहीं होना चाहिए  । चुनौतियाँ  हमारे  जीवन में  अनेक  होती है । सफल होने पर  न अधिक  प्रसन्न  होना चाहिए  और  असफल  होने पर  अधीर भी नहीं  होना चाहिए ।  मनुष्य  जीवन पाकर  भी यदि  हम निराश  होते हैं  तो  जीना  व्यर्थ  होता है ।  महाभारत के युद्ध में  भगवान  श्रीकृष्ण ने  निराश और अधीर  अर्जुन  से कहा कि हे पार्थ  उठो ,अपना गांडीव  उठाओ तथा  अपने   कर्तव्य  -पालन  में  लग जाओ । यही तुम्हारा धर्म  है । इसी प्रकार  हमें भी  आशा  एवं  विश्वास के साथ अपने  कर्तव्य  -पथ पर  आगे बढना  चाहिए  ।

Friday, January 15, 2016

पर उपदेश कुशल बहुतेरे । Par Updesh kushal bahutere .

'पर उपदेश कुशल बहुतेरे ' सूक्ति से तात्पर्य यह है कि दूसरों को उपदेश  देना  बहुत  आसान है परंतु स्वयं  उस पर  अमल करना टेढी  खीर  होता है । उपदेश  तथा  सलाह  लोग बिना  मागे  ही देते हैं ।हमें  दूसरों को  उपदेश देने के  पहले यह सोचना चाहिए कि हम  उसपर  कितना  अमल करते हैं  ।एक बार  एक महिला  अपने  छोटे बेटे को लेकर  महात्मा गांधी के  पास  गयी  और  बोली - महात्मा जी  ,मेरा  बेटा  मीठा  बहुत  खाता है ।  आप  इसे  समझाइए । महात्मा गांधी  बोले  -  अगले  सप्ताह  आना , मैं इसे  समझा  दूँगा । वह  महिला  बच्चे को  साथ लेकर  अगले  सप्ताह  फिर  आयी । गांधी जी ने  बच्चे  से  कहा  - बेटा  मीठा  ज्यादा  मत खाया  करो ।बच्चे  ने कहा,  - ठीक है अब मैं  मीठा  कम खाऊँगा  । यह  बात  सुनकर वह  महिला बोली ।यह बात  तो  आप पिछली  बार  भी  कह सकतेथे । यह  सुनकर  गांधी  जी ने कहा कि उस समय  मै खुद  मीठा  अधिक  खाता  था  तो  इस  बच्चे को  कैसे  न खाने की  सलाह  देता  । यह सुनकर  महिला  अवाक रह गई  । अतः  हमें भी किसी को  उपदेश  या सलाह  देने के  पहले  उस बात  पर  अमल करना  चाहिए  जो हम  दूसरों को करने  को  कहते हैं ।

Friday, January 8, 2016

मन के हारे हार है , मन के जीते जीत ।(अनुच्छेद )

किसी भी  कार्य  को  करते समय  व्यक्ति को  दुविधा  का  भाव  मन में  नहीं  लाना  चाहिए  । जो  लोग इस  प्रकार  सोचते हैं कि मैं  यह कार्य कर  पाऊँगा  या नहीं  कर  पाऊँगा  ,यदि  नहीं  कर  पाया  तो  क्या होगा ? इस  प्रकार  का विचार  भी व्यक्ति  मे निराशा  का  भाव पैदा कर  देता है  जो  उसकी  एकाग्रता  को भंग  करता है ।  एकाग्रता के  भंग होने  से  कार्य  मे  सफलता  नहीं मिलती है । इसके  विपरीत  दृढ निश्चय  के द्वारा  मनुष्य  की एकाग्रता  बलवती  होती है  जिसके  परिणाम स्वरूप  सफलता  उसके  कदम  चूमती है ।  दृढ संकल्प  सफलता का  आधार है ।  दृढ संकल्प  कर लेने के  पश्चात  व्यक्ति के  मन में  असफलता का  विचार  भी नहीं  आता  बल्कि  वह पूर्ण   प्रयास  एवं  शक्ति के साथ  जीत अर्थात  सफलता  की  तरफ  अग्रसर  होता है  । महाभारत के युद्ध में कर्ण के  सारथी  शल्य  थे  जो कर्ण को बार -बार यह कहते  थे कि वह  अर्जुन  से जीत  नहीं  सकता  , जिसका  परिणाम  यह हुआ कि  कर्ण हतोत्साहित  होता  गया और
अंततः उसकी  हार  हुई  । इसी प्रकार  व्यक्ति  जिस प्रकार का  विचार  अपने  मन में  लाता है उसी प्रकार का  परिणाम  उसके  जीवन में उसे मिलता है  अर्थात  मन के  हारे हार है, मन के जीते जीत  ।