करत - करत अभ्यास से जडमति होत सुजान ।
रसरी आवत जात से शिल पर परत निशान ।।
' करत - करत अभ्यास से जडमति होत सुजान ' सूक्ति से तात्पर्य यह है कि बार बार अभ्यास करते रहने से मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान हो जाता है । ' बिना अभ्यासे विषम विद्या ' अर्थात अभ्यास के अभाव में बडे - बडे चालाक व्यक्ति की बुद्धि भी कुंठित हो जाती है । संस्कृत के श्रेष्ठ ग्रंथ ' लघु सिद्धांत कौमुदी ' के रचयिता ' बरदराज ' बचपन में मंदबुद्धि थे । गुरुकुल से उन्हें इसलिए निकाल दिया गया , क्योंकि वह मंदबुद्धि थे । एक दिन गुरु जी ने बरदराज से कहा, पुत्र ! पढना लिखना तुम्हारे बस का नहीं है । अब तुम घर जाकर अपने पिताजी के काम में उनकी मदद करो । बरदराज भारी मन स घर के लिए प्रस्थान किया । रास्ते में एक कुएँ पर देखा कि रस्सी की रगड से कुएँ की जगत पर निशान पड गया है । यह देख उनके मन में बिजली सी कौध गई । उन्होंने सोचा यदि कोमल रेशे से बनी हुई रस्सी कुएँ की जगत को काट सकती है तो बार - बार के अभ्यास से मुझे पढना लिखना क्तो नहीं आ सकता । इस विचार के साथ वह गुरुकुल लौट गए और गुरु जी से एक अवसर और देने का आग्रह किए ।इस प्रकार सतत अभ्यास के द्वारा वे संस्कृत के महान विद्वान बन गए । इस प्रकार निरंतर अभ्यास के द्वारा हम भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं ।
Sunday, January 17, 2016
करत - करत अभ्यास से जडमति होत सुजान । Karat - Karat Abhys Se Jadmati Hot Sujan .
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Karat karat abhyas ka jadmati ho soojan rasri aat jaat ka sil par parat nisan
ReplyDeleteKatat katat abhyas se jadmati hot soojan tasri aat jat de sil par padst nisan
ReplyDeleteWho has written sir
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