मनुष्य ईश्वर की सबसे श्रेष्ठ कृति है । आशा और निराशा उसके दिमाग की उपज है । ' नर हो न निराश करो मन को ' सूक्ति हमें जीवन में निराश न होने की प्रेरणा देती है । सफलता प्राप्त होने पर व्यक्ति प्रसन्न होता है और असफलता निराशा लाती है । असफल होने पर मनुष्य को निराश नहीं होना चाहिए । चुनौतियाँ हमारे जीवन में अनेक होती है । सफल होने पर न अधिक प्रसन्न होना चाहिए और असफल होने पर अधीर भी नहीं होना चाहिए । मनुष्य जीवन पाकर भी यदि हम निराश होते हैं तो जीना व्यर्थ होता है । महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने निराश और अधीर अर्जुन से कहा कि हे पार्थ उठो ,अपना गांडीव उठाओ तथा अपने कर्तव्य -पालन में लग जाओ । यही तुम्हारा धर्म है । इसी प्रकार हमें भी आशा एवं विश्वास के साथ अपने कर्तव्य -पथ पर आगे बढना चाहिए ।
Niccccccceeeeeeee
ReplyDeleteNice... 👍but not in detail....
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