Friday, January 15, 2016

पर उपदेश कुशल बहुतेरे । Par Updesh kushal bahutere .

'पर उपदेश कुशल बहुतेरे ' सूक्ति से तात्पर्य यह है कि दूसरों को उपदेश  देना  बहुत  आसान है परंतु स्वयं  उस पर  अमल करना टेढी  खीर  होता है । उपदेश  तथा  सलाह  लोग बिना  मागे  ही देते हैं ।हमें  दूसरों को  उपदेश देने के  पहले यह सोचना चाहिए कि हम  उसपर  कितना  अमल करते हैं  ।एक बार  एक महिला  अपने  छोटे बेटे को लेकर  महात्मा गांधी के  पास  गयी  और  बोली - महात्मा जी  ,मेरा  बेटा  मीठा  बहुत  खाता है ।  आप  इसे  समझाइए । महात्मा गांधी  बोले  -  अगले  सप्ताह  आना , मैं इसे  समझा  दूँगा । वह  महिला  बच्चे को  साथ लेकर  अगले  सप्ताह  फिर  आयी । गांधी जी ने  बच्चे  से  कहा  - बेटा  मीठा  ज्यादा  मत खाया  करो ।बच्चे  ने कहा,  - ठीक है अब मैं  मीठा  कम खाऊँगा  । यह  बात  सुनकर वह  महिला बोली ।यह बात  तो  आप पिछली  बार  भी  कह सकतेथे । यह  सुनकर  गांधी  जी ने कहा कि उस समय  मै खुद  मीठा  अधिक  खाता  था  तो  इस  बच्चे को  कैसे  न खाने की  सलाह  देता  । यह सुनकर  महिला  अवाक रह गई  । अतः  हमें भी किसी को  उपदेश  या सलाह  देने के  पहले  उस बात  पर  अमल करना  चाहिए  जो हम  दूसरों को करने  को  कहते हैं ।

5 comments:

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  2. During my elementary schooling days during the early seventies, we were given a booklet as part of school syllabus, " Achche Bank" Aajkal jitna bhi dhondoon, yeah naheen milte nahin. Aapka blog padke is kitaab ki bahut yaad aayi

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  3. I love this it's really inspired me

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