Tuesday, June 7, 2016

बिन सत्संग विवेक न होई ।

प्रस्तुत  सूक्ति ' बिन सत्संग  विवेक न होई  'का तात्पर्य यह है कि  कितनी ही  शिक्षा  क्यो न प्राप्त कर ली  जाए  पर  बिना  सत्संग के  ज्ञान  नहीं  प्राप्त  किया जा सकता है । सत्संग का  अर्थ है सज्जनों की  संगति तथा  विवेक  का  अर्थ है  :-   सत्य - असत्य   ;  अच्छे - बुरे  के अंतर का ज्ञान  होना ।यह  ज्ञान  मात्र  सज्जनों  की संगति  से ही प्राप्त  किया जा सकता है । व्यक्ति  जिस प्रकार  की संगति करता है , उसी प्रकार का  गुण  सीखता है । एक वृक्ष पर तोते के दो बच्चे  रहते थे,  एक  बच्चा  एक ऋषि के  आश्रम में रहकर  पला  । वह  आश्रम में  आने वाले  हर व्यक्ति  का अभिवादन  किया  करता था  । इसके  विपरीत  दूसरा  बच्चा  चोरों  की  संगति  में  पला  । वह तोता  चोरों को  उस रास्ते से  आने वाले  राही की  सूचना  देता था, जिससे  चोर यात्रियों को  लूट लिया  करते थे  । यह संगति का ही असर  था कि दोनों  तोतों  का स्वभाव  विपरीत  गुणों  वाला  हो गया  ।

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