प्रस्तुत सूक्ति ' बिन सत्संग विवेक न होई 'का तात्पर्य यह है कि कितनी ही शिक्षा क्यो न प्राप्त कर ली जाए पर बिना सत्संग के ज्ञान नहीं प्राप्त किया जा सकता है । सत्संग का अर्थ है सज्जनों की संगति तथा विवेक का अर्थ है :- सत्य - असत्य ; अच्छे - बुरे के अंतर का ज्ञान होना ।यह ज्ञान मात्र सज्जनों की संगति से ही प्राप्त किया जा सकता है । व्यक्ति जिस प्रकार की संगति करता है , उसी प्रकार का गुण सीखता है । एक वृक्ष पर तोते के दो बच्चे रहते थे, एक बच्चा एक ऋषि के आश्रम में रहकर पला । वह आश्रम में आने वाले हर व्यक्ति का अभिवादन किया करता था । इसके विपरीत दूसरा बच्चा चोरों की संगति में पला । वह तोता चोरों को उस रास्ते से आने वाले राही की सूचना देता था, जिससे चोर यात्रियों को लूट लिया करते थे । यह संगति का ही असर था कि दोनों तोतों का स्वभाव विपरीत गुणों वाला हो गया ।
Tuesday, June 7, 2016
बिन सत्संग विवेक न होई ।
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