समय तथा सागर की लहरें ,
करती नहीं प्रतीक्षा |
टिक-टिक करती घडी ,
सदा देती है सबको शिक्षा ||
खोई हुई बस्तु मिलाती है ,
खोई हुई संपदा |
खोया हुआ रत्न मिल सकता
समय- मान न मिलता ||
करो समय-सदुपयोग ,
नहीं तो पछताओगे |
बीत जायगा समय ,
देखते रह जाओगे ||
गुजर जायगा वक्त ,
देखने दर्पण में |
वह समय नहीं आयेगा
फिर से जीवन में ||
करते हो सम्मान,
समय का ,सुख पाओगे |
बोओगे यदि आम,
समय पर फल खाओगे ||
बीत जायगा आज,
कल आये न आये |
क्षण भंगुर संसार,
काल किस क्षण आ जाए ||
बोओ जग में फूल ,
शूल मत भूल से बोना |
बोया जिसने शूल ,
पड़ा जीवन भर रोना ||
राजेंद्र रामनाथ मिश्र
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