घुट -घुट करके जीने वालों ,
भ्रमितमार्ग अपनाने वालों
छोडो कल की बात पुरानी
मंदिर- मस्जिद -गिरिगाघर के
गृह -कलह में जीने वालों
राग-द्वेष व वर- भाव के -
विष की मदिरा पीने वालों
अंध-रुढी,अज्ञान -अशिक्षा
की छाया में जीने वालों
असत-अनैतिक -अनाचार
का आश्रय लेकर चलने वालों
छोडो अनाचार अवलंबन
दुनियाँ कितना आगे बढ़ गयी
तुम क्यों रह गए पीछे !
पढो-बढ़ो सिद्धांत बनाओ
नये जगत में जीना होगा ||
छाछ फूंककर पीने वालों
झूंठी स्वाँग रचाने वालोंभ्रमितमार्ग अपनाने वालों
छोडो कल की बात पुरानी
नये जगत में जीना होगा ||
मंदिर- मस्जिद -गिरिगाघर के
गृह -कलह में जीने वालों
राग-द्वेष व वर- भाव के -
विष की मदिरा पीने वालों
छोड़ो धर्म-जाति की बाते
नये जगत में जीना होगा ||अंध-रुढी,अज्ञान -अशिक्षा
की छाया में जीने वालों
असत-अनैतिक -अनाचार
का आश्रय लेकर चलने वालों
छोडो अनाचार अवलंबन
नये जगत में जीना होगा ||
दुनियाँ कितना आगे बढ़ गयी
तुम क्यों रह गए पीछे !
पढो-बढ़ो सिद्धांत बनाओ
जग के संग में चलने वालो
छोडो निद्रा-तन्द्रा- आलस्य ,नये जगत में जीना होगा ||
राजेंद्र रामनाथ मिश्र
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