हे! सच्चिदानंद परमेश्वर ,आप सर्वशक्तिमान हैं ,सर्व- व्याप्त हैं | अनंत तथा अजानबाहु हैं | आप हम सब की बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें |
मनुष्य में दो प्रकार की शक्तियां निहित होती हैं-- शारीरिक- शक्ति तथा आत्म -शक्ति | सच्ची ताकत शारीर की नहीं होती बल्कि आत्मा की होती है ,चरित्र की होती है | शारीरिक- शक्ति अहंकार को जन्म देती है ,परन्तु आत्म-शक्ति बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करती है | अतः आत्म-शक्ति ईश्वर द्वारा प्रदत्त शक्ति होती है |
अब मै अपने से बड़े जो हमें अपना पुत्र ,पौत्र या पुत्रवत तथा पौत्रवत समझते हैं -- उन सबको प्रणाम करता हूँ | उन्हें मेरी ओर से नमस्कार -जो हमारे अनन्य तथा अभिन्न हृदय हैं | हमारे छात्रों -शिष्यों तथा उन
बालकों को मेरा मधुर स्नेह -- जो हमें इतना प्यार देते हैं |
स-धन्यवाद |
राजेंद्र रामनाथ मिश्र
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