Tuesday, August 18, 2015

रोज सबेरे

रोज सबेरे  सूरज की  किरणें,
चुपके से  मेरे  घर आती ,
जादू  भरी  रोशनी से वे
नींद हमारी  दूर भगाती ।।

रोज सबेरे  चिडियाॅ चीं -चीं
करके , अपने  गीत  सुनाती
जादू  भरे गीत के  स्वर से
सुबह  नींद से  हमे  जगाती  ।।

रोज  सबेरे  मम्मी  मेरी
मुझे  नाम  लेकर  के बुलाती
जादू  भरे  मधुर  स्वर  उनके
तंद्रालस को दूर  भगाते ।।

रोज सबेरे  पापा  मेरे
मुझे  उठा  मंदिर  को जाते
'उठ जा विट्टू 'कह करके
मुझे प्रात का  पाठ पढाते  ।।

सुख -दुख सब दुनिया में ही हैं
सुबह  शाम  आते जाते हैं
कोई  खो करके सोता है
कोई  सो करके  खोता है ।।

सुबह  देर तक  जो सोते हैं
बडे  आलसी  वे होते हैं
सुबह  समय से  उठने वाले
जग में  सम्मानित  होते हैं  ।

                                        राजेंद्र प्रसाद मिश्र

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