Wednesday, August 25, 2021

अथ श्री गायत्री कवचम् ।

ॐ अस्य श्री गायत्रीकवचस्य ब्रह्मा ऋषिर्गायत्री छंदों गायत्री देवता ॐ भू: बीजम भुव: शक्ति: स्व: कीलकम गायत्रीप्रीत्यर्थे जपे विनियोग : |
                  ।।  अथ ध्यानम् ।।
पंच वक्त्राम् दसभुजाम् सूर्यकोटि समप्रभाम् ।
सावित्रीम ब्रहम वरदां चन्द्र कोटि सुशीतलाम ||
त्रिनेत्राम सितवक्त्राम च मुक्ताहार विराजिताम |
वरा भयांकुशकशा      हेमपात्राक्ष मालिकाम    ||
शंखचक्राब्ज युगलं कराभ्याम दधतिम वराम  |
सितपंकज संस्थाम च हंसारुढाम सुखस्मिताम ||
ध्यात्वेवं मानसाम्भोजे गायत्री कवचम जपेत   |


                  ॐ ब्रहमो वाच
विश्वामित्र ! महा प्राज्ञं ! गायत्री कवचम श्रुणु |
यस्य विज्ञानमात्रेण त्रेलोक्यम वशयेत क्षणात ||

सावित्री में शिर: पातु शिखायाम    मृतेश्वरी  |
ललाटं ब्रहम देवत्या भ्रुवों में पातु वैष्णवी  || 

कर्णों में पातु रुद्राणी सूर्या सावित्रिकाम्बिके |
गायत्री वदनं पातु     शारदा    दशनच्छदो  ||

द्विजान यज्ञप्रिया पातु रसनायां सरस्वती |
सांख्यायनी नासिकाम में कपोलो चंद्रहासिनी ||

चिबुकं वेदगर्भा च कण्ठं   पात्वघनाशिनी  |
स्तनों में पातु इद्राणी ह्रदयं    ब्रहमवादिनी ||

उदरं विश्वभोक्त्री च नाभो पातु सुर प्रिया  |
जघनं नारसिंही  च पृष्ठं    ब्रहमांडधारीणी ||

पार्स्वो में पातु पद्माक्षी गुह्यम गोगोप्त्रीकावतु |
उवोरोकार रूपा च जान्वो: संध्यात्मिका वतु ||

जंघ्यो: पातु अक्षोभ्या गुल्फ्योर्ब्रहम शीर्षका |
सूर्या पदद्वयं   पातु  चन्द्रा  पादागुलीषु  च  ||

सर्वांग वेदजननी  पातु में सर्वदा नघा    |
इत्येतत कवचं ब्रह्मन गायत्र्या: सर्व पावनम |
पुण्यं पवित्रं    पापघ्नं     सर्वरोगनिवारणं ||
त्रिसंध्यं यः पठेत विद्वान सर्वान कामानवाप्नुयात |

सर्व शास्त्रार्थतत्वज्ञं: स भवे  द्वे  दवित्तम: ||
सर्वयज्ञफलं प्राप्य ब्रह्मान्ते समवाप्नुयात |
प्राप्नोति जप मात्रेण पुरुषार्था श्चतुर्विधान ||

 || श्री विश्वामित्र संहितोक्तं गायत्री कवचं सम्पूर्णं ||

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