आज दौड-भाग की जिन्दगी तथा बढती आवश्यकता के कारण लोग जीवन मूल्यो की अवगणना कर रहे है।सत्य निष्ठा सदाचार तथा कर्तब्य परायणता आदि जीवन मूल्यो का लोप हो रहा है। सत्य ऐसा जीवन मूल्य है जो परेशान हो सकता है परन्तु पराजित नही होता । अपने कर्तब्य को निष्ठापूर्वक निभाने पर सफलता अवश्य मिलती है ।सदाचार द्वारा व्यक्ति सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करता है ।जीवन मूल्यो का संचय ही नही संरक्षण भी आज आवश्यक हो गया है।
आज लोगो मे इंसानियत नही रह गयी है। इसका मुख्य कारण यह है कि लोग जीवन मूल्यो की अहमियत नही समझते है । समाज मे इंसानियत के अभाव मे संवेदना नही रह गयी है।लोग एक दूसरे के सुख दुख मे सहभागी बनने से कतराते है । सच्चे समाज के निर्माण के लिए जीवन मूल्यो को बनाए रखना आज की सबसे बडी आवश्यकता है ।
अंपने अंतःमन की आवाज सुनकर कर्तब्य पथ पर बढना चाहिए ।कठिनाई या समस्या का समाधान न होने पर , कर्तब्य पथ से विमुख होना सिद्धांत के खिलाफ है ।यहीं से जीवन मूल्यो को छोडने न छोडने की बात पैदा होती है । गौतम बुद्ध, विवेकानंद, महावीर इत्यादि महापुरुष यदि संकट के समय विचलित हो गए होते तो उनका नाम इतनी श्रद्धा से न लिया जाता ।
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