Saturday, November 9, 2013

माँ की बेबशी Helplessness of a mother

बहुत पहले की बात है,
अफ्रीका गुलाम था गोरो का
गोरे उन्हे गुलाम समझते थे
जानवरो की तरह खरीदते,
तथा बेचते थे बाजारो मे ।

एक दिन एक गोरा एक माँ को,
उसके तीन बच्चो के साथ ,
बेचने लाया ।
बडे बेटे की डील-डौल देख,
एक गोरेने झट खरीद लिया ।

माँ के देखते-देखते,
और दोनो बेटे बिक गये
माँ रोई नही,
ऐसा लगा वह वर्षो से
सोई नही।

माँ की छटपटाहट का,
क्या ? वर्णन करू ।
बेबश माँ की दशा,
हथेली पर रखे दिल-सी थी ।

                           राजेंद्र प्रसाद मिश्र

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